रविवार, 15 जून 2008

लौटेगा विश्वास(राज.पत्रिका में २५मई को प्रकाशित कविता )


हरे पेड़ों की तरह लौटेंगे विश्वास

गुलाबी फूलों की तरह मुस्कान

शिशु किलाकरिओं की ऊर्जा

बुजुर्ग अनुभवों सी आस्थाएँ लौटेंगी


एक दिन देखना

सब कुछ लौटेगा

जो भी किए तुमने भले काम

वह उत्साह बन लौटेंगे

आशीर्वाद जो बटोरे जीवन में

वे सब सहारा बन लौटेंगे

लौटेगी खोई हुई सूझ

भटके विचार

बिखरे मूल्य लौटेंगे


तुम बस हटाते चलो जल्कुम्भियाँ

फूंकते चलो स्वर प्रेम का

कर्म की उंगलियों से

साधना की शहनाई बजाओ

एक दिन सब रूठे हुए दिन लौटेंगे



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