बुधवार, 13 अगस्त 2008

बिंद्रा तुस्सी तो बिंदास हो

बिंद्रा तुम्हारी जीत से हम सब गद-गद हैं । हम इतने गद-गद हैं की गद-बद हो कर बाकी खेलों में लद्द से गिर पड़ें हैं । ओलम्पिक हमारे लिए देशाटन और सैर -सपाटे से बड़कर कुछ नहीं है। हम ठहरे मोक्ष की कामना वाले प्राणी । हमको स्वर्ण ,कांस्य से क्या लेना- देना ?हाँ कुर्सी दौड़ रखते तो हमारे नेता ही गोल्ड ले आते । तीरंदाजी में हम सदा ही सत्ता पर निशाना लगाये रहते हैं , भार हमने गबन कर-कर इतना उठाया है की भारोत्तोलन में कोई टिक नही सकता है । सारी बाधाएं लाँघ हम मंत्री पद की फिनिशिंग लाइन तक आयें हैं । इसलिए बिंद्रा तुम कम नहीं तो हम भी कम कहाँ ? तुम डाल -डाल तो हम पात -पात हैं । तुम आगे तो हम पीछे । तुम आज ऊपर तो हम नीचे ।

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