मंगलवार, 25 नवंबर 2008
कुछ लघु पत्रिकाओं के विषय में (एक )
आजकल में कुछ नयी लघु पत्रिकाओं को पढ़ रहा हूँ । इसमे सबसे पहले "पाखी " का उल्लेख करना चाहूँगा । अपूर्व जी का प्रयास अच्छा है । लेकिन अभी प्रशंसा से बचने की जरूरत है । एक नयी पत्रिका की ध्वनी ऐसी जानी चाहिए कि उस पर किसी वाद का लेबल न लगे । कविताएँ यश मालवीय की हमेशा की तरह अच्छी हैं । कुमार विश्वास का कालम सामान्य है । पुस्तक समीक्षा के अंतर्गत अभी और मेहनत की जरूरत है । यदि शब्द चर्चा ,व्यंग्य ,को भी स्थान दिया जाए तो सोने में सुहागा हो जाए । रचनाकारों का परिचय देने का अंदाज़ बढ़िया है । थोड़ी गंभीर सामग्री पर और ध्यान दें तो चार चाँद लग जायें । शेष अगले पोस्ट में ......
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पूरी पोस्ट लिखियेगा, जाहिर है बढिया सामग्री देंगे. मैं भी एक लघु पत्रिका "स्पंदन" निकालता हूँ पता दीजियेगा आपको भेजूंगा.
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