बँटवारा
बैचेनी हमारे पास है
तो नींद किसके हिस्से में है
आँसू हमारी आँखों में हैं
तो हँसी किसके हिस्से में है
थकान हमारे पैरों में है
तो मनोरंजन किसके हिस्से में है
सदियों से यही प्रश्न पूछ रहे हैं हम
जब दुनिया बदलने की हर चीज
कलम,कूंची,छैनी,हथियार
हमारे पास है
तो समृद्धि किसके हिस्से में है
जिनके पास है इतना सब कुछ
उन्हें इतना सा हिस्सा
जिनके पास नहीं है कुछ भी
उनका इतना सारा हिस्सा
हवाला है न्याय का
लोकतंत्र का
तो ये उपेक्षा,ये सहानुभूति किसके हिस्से में है
हिस्सा बदलो
और बराबर का बाँट लाओ
सावधान
तौलते समय भाग्य की डंडी मत लगाओ
इस सुंदर कविता के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंहवाला है न्याय का
जवाब देंहटाएंलोकतंत्र का
तो ये उपेक्षा,ये सहानुभूति किसके हिस्से में है.........
बहुत गंभीर सवाल उठाती कविता। साधुवाद।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
http://vyangyalok.blogspot.com
हिस्सा बदलो
जवाब देंहटाएंऔर बराबर का बाँट लाओ
सावधान
तौलते समय भाग्य की डंडी मत लगाओ...
अतुल भाई...इस बेहतरीन कविता के लिए साधुवाद स्वीकारें...