गुरुजी आज बहुत खुश थे .जाते ही हुमक कर गले मिले .मैंने पूछा क्या बात है आज अति प्रसन्न हो ?वे बोले -"हम तो बचे चुनाव से , बचे दबाने पाँव से ".मैं उनकी कविताई देख हतप्रभ था .मैंने पूछ लिया इससे आपको क्या मिलेगा ? जो कुछ उन्होने फरमाया पेशे खिदमत है -----
हम बचे भईया सिर फुटाने से
गालियाँ खाने से
मतपत्र रखाने से
अब चैन से सोयेंगे हमार बचवा
पिकनिक पर जायेंगे संग सजनवा
दूर घर की शिक़ायत होगी
तबियत से चुनाव पंचायत होगी
छात्र भी पढ़ सकेंगे मन लगाके
कोर्स पूरा हो सकेगा समय पर जाके
धन्य है न्यायालय शिक्षक पद की गरिमा बड़ाई
समाज में उनको खोई प्रतिष्ठा दिलाई
आपको शत -शत दुहाई है दुहाई !
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