देखिए ! भाईसाहब, आपके ऑफिस में मेरा यह तीसरा चक्कर है। तो क्या हुआ? कौन चक्कर नहीं लगा रहा ? पृथ्वी सूर्य के चारों ओर हज़ारों वर्षों से चक्कर लगा रही है। लड़कियों के बाप योग्य लड़कों के चक्कर लगा रहे हैं। छुटभैये नेता अपने गॉडफादरों के चक्कर लगा रहे हैं। निर्माता नंबर वन हीरो के चक्कर लगा रहे हैं। चक्कर तो एक अनिवार्य प्रक्रिया है जिसके बिना सरकारी ऑफिस में काम संभव नहीं है। "कब से आपने मेरी फ़ाइल अटका रखी है ,काम नहीं करना हो तो सीधे मना कर दीजिए।"
-"करना क्यों नहीं है? यहाँ बैठे किसलिए हैं? परन्तु काम तो अपने तरीके से होगा न।"
-"तरीके से आपका मतलब?"
-"मतलब यह कि कुछ सर्विस चार्ज वगैरह....."
-"सर्विस चार्ज कब से लगने लगा?"
-"अरे भैया! यह चार्ज का ही युग है। चाहे सर चार्ज हो या लेट चार्ज, आप ग्लोबलाइज़ होने जा रहे हैं। उनकी संस्कृति को नहीं अपनायेंगे।"
-"मेरी फ़ाइल निकालिए......."
-"फ़ाइल अभी नहीं मिल रही कल आ जाइए।"
-"क्यों? आख़िर फ़ाइल कैसे खो गयी?"
-"क्यों? आख़िर फाइलों को आपने क्या समझ रखा है? क्या उनके भूख,प्यास,नींद,आत्मा नहीं होती? सरकारी विभागों की तो शोभा ही फाइलों के ढेर से है। जिस ऑफिस में फ़ाइल की यथोचित पूजा होती है वहां कुबेर देवता का निवास होता है।"
-"अजी, वह ज़रा पड़ोसी का हिस्सा..."
-"कौन पड़ोसी का हिस्सा नहीं दबा रहा? लोग तो पड़ोसी की बीवी तक भगा रहे हैं। हमारे मुल्क की जमीन पड़ोसी देशों ने नही दबी क्या? चार हजार रुपये के लिए आदमी आदमी का गला दबा रहा है,आप चार फुट ज़मीन नहीं दबा सकते?"
-"अगर मेरी फ़ाइल खो गयी तो...?"
-"कोई बात नहीं डुप्लीकेट बन जायेगी। जब इतने दिनों से आपने उसकी अलमारी में बंद पड़ी आत्मा को उपेक्षित किया तो वह भी रूठ गयी। फाइलें जैसे खोती हैं वैसे ही वापिस भी आ जाती हैं, बशर्ते आपकी कोशिशें ईमानदार हों"
मैं काफी देर तक सोचता रहा क्या करूं, क्या नहीं? फ़ाइल और ईमानदार आदमी का चोली दामन का साथ है। हर ईमानदार आदमी की फ़ाइल खो गयी है। बेईमानों की फाइलें कभी नहीं खोतीं। वे भी सुरक्षित हैं उनकी फाइलें भी सुरक्षित। सही आदमी की पहचान की तरह उसकी फ़ाइल भी गुम है।
वाह जनाब बहुत अच्छा व्यंग्य लिखा आपने.
जवाब देंहटाएंपढ़ कर तबियत खुश हो गई.
व्यवस्था पर एक करारी चोट की है.
मज़ेदार है :)
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