बुधवार, 27 अगस्त 2008
हम भी खोलेंगे एक चैनलवा !
चैनलों का हाल आजकल बेहाल है । सब के सब को धर्म ,ज्योतिष ,अन्धविश्वास के भूत ने पकड़ रखा है । खबरिया चैनल लगता है फुरसतिया हो गये हैं । कोई देवलोक की सैर करा रहा है तो कोई रावन का जूता ढूँढ रहा है । किसी को कुछ नही सूझा तो एलियन और हिममानव के पीछे ही लग गया । एस्ट्रो से लेकर यती तक चर्चा में हैं नही है तो आम आदमी गायब है । क्यों न एक फुरसतिया चैनल डाल लें । आधा समय क्रिकेट के नाम , आधा फ़िल्म और हँसी और फूहड़ मनोरंजन के नाम ,बस बन जाएगा काम । बचा खुचा विज्ञापन निबटा लेगा । हम भी शुमार हो जायेंगें महान पत्रकारों में । एक ठो अवार्ड कबाड़ लेगें ,न सही पुलित्ज़र तो गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार ही सही । संवर जायेगी किस्मत हो जाने दो कनेक्शन । चैनल की बहार में हमें भी भीगने दो न ! हम भी अपनी जनम कुंडली बांचना चाहते हैं ।
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सही कह रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंएक फुरसतिया चैनल डाल लें । आधा समय क्रिकेट के नाम , आधा फ़िल्म और हँसी और फूहड़ मनोरंजन के नाम ,बस बन जाएगा काम । बचा खुचा विज्ञापन निबटा लेगा । हम भी शुमार हो जायेंगें महान पत्रकारों में ।
जवाब देंहटाएंBadhiya.