गणेश चतुर्थी के अवसर पर कोटा (राज.)में भी तैयारियां जोरों पर हैं । मूर्तिकार भवतोष ने बताया की वो सन ७० से यह काम कर रहा है । पेट भरने के लायक जुगाड़ हो जाता है । विशेष प्रकार की चिकनी मिट्टी तथा बांस से पहले ढांचा बनाते हैं । फिर धूप में सूखने को रख देते हैं । तकरीबन एक दिन में दस पाँच मूर्ती का ढांचा बन जाता है । भवतोष के अनुसार मिट्टी का भावः २०००/ट्रोली है । छोटी मूर्ती २०० से ३०० रुपये में और बढ़ी ५०० से ७०० रुपये में बिकती है । किसी को जल्दी हो तो बुरादा और शक्कर मिलाते हैं ताकी मूर्ती चिटके नही । देवी देवताओं की मूर्ती बनाते समय पूर्ण शुद्धता जरूरी है । भवतोष ने बताया की नशे आदि का सेवन करने से हुनर समाप्त हो जाता है । इन मूर्तियों को देख कर बरबस दुष्यंत कुमार का शेर याद आ जाता है ----
पुराने पढ़ गए हैं डर फ़ेंक दो तुम भी ,
ये कचरा आज बाहर फ़ेंक दो तुम भी
ये मूरत बोल सकती है अगर चाहो
ये कचरा आज बाहर फ़ेंक दो तुम भी
ये मूरत बोल सकती है अगर चाहो
अतुल जी, आप का ब्लाग देख कर प्रसन्नता हुई। यह जान कर और कि आप भी कोटा से ही हैं। दिसम्बर 07 से आप का ब्लाग होते हुए भी आप से अपरिचित रहा यह मेरा दुर्भाग्य है। कोटा के कुछ ब्लागर संपर्क में हैं।
जवाब देंहटाएंमैं ने आप के कुछ आलेख और कविताएँ देखी हैं। सुन्दर ब्लाग है, लेकिन और सुंदर व उपयोगी बनाया जा सकता है।
आगे आप को पढ़ते रहेंगे।