मंगलवार, 9 सितंबर 2008

आज भारतेंदु को याद कर लें !

आज के दिन भारतेंदु का जन्म दिन है । भारतेंदु की प्रतिभा की महक पूरी एक सदी तक आती रही है । मात्र ३४ वर्ष की उम्र में लगभग २५० मूल और प्रकाशित कृतियों की रचना करना उनकी संकल्प शक्ति का परिचायक है की किस हद तक वे साहित्य को समर्पित थे । चार पत्रिकाओं का संपादन और अपने इर्द गिर्द एक पूरा लेखक मंडल स्थापित करना उनके महान व्यक्तित्व का उदहारण है । निज भाषा की उन्नति का उनका सूत्र आज अधिक प्रासंगिक हो गया है जब राज ठाकरे जैसे सिर फिरे नेता देश को बाँटने में लगे हैं । भारतेंदु ने न केवल जन भाषा को अपनाया वरन जन पीड़ा को वाणी दी । कविता ,व्यंग्य ,पत्र आदि सभी विधाओं में उनकी लेखनी निर्बाध चली । हम हिन्दी प्रेमियों का उन्हें शत -शत प्रणाम !

2 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा आपने.'कबाड़खाना' पर भारतेन्दु को लेकर मेरी कई पोस्ट्स हैं .अगर नहीं देख सके हैं और ठीक समझें तो देख लें.
    शेष फ़िर.
    http://kabaadkhaana.blogspot.com/

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  2. इतने छोटे में आपने इतनी सारी बातें कह दी; सचमुच भारतेन्दु की तरह, जो इतने अत्यल्प समय में इतना काम कर गये।

    मैं भी उनकी रचनात्मक शक्ति से बहुत प्रेरणा लेता हूँ। हमेशा यही सोचता हूँ कि उनके शतांश भी रचनात्मक शक्ति अर्जित कर सकूं तो अपने को धन्य समझूं।

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