गुरुवार, 9 अक्तूबर 2008

ऐतिहासिक है कोटा का दशहरा मेला (१०० वर्षों से भी पुराना )

कोटा के दशहरे मेले की गिनती राष्ट्रीय मेले के रूप में की जाती है । इस दशहरे मेले को आकर्षक बनानेका क्रम सन १८९२ से शुरू हुआ । महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय के शासन कल में यह मेला अपने पूर्ण यौवन पर आया । तीन दिन चलने वाला मेला एक सप्ताह का हो गया । बाहर के व्यापारी भी आने लगे । सन १९२१ में नगर पालिका ने मेले का कार्यभार सम्हाल लिया । पंचमी के दिन से मेला भरने लगता ,पूरे देश के व्यापारी आते ,पशु मेला भी व्यापक स्टार पर लगने लगा । अष्टमी के दिन महाराव साहेब जहाँ कुल देवी आशापुरा देवी का पूजन करते तो नवमी के दिन आशापुरा देवी के खांडा एक प्रकार का शस्त्र रखने जाते थे । दरी खाने में रावण से युद्ध करने पर विचार होता ,तोपें चलायी जाती । विजय दशमी के दिन रावण वध की सवारी निकलती । कई तोपें चलतीं ,रावण पर महाराव साहेब तीर चलाते । उस समय रावण का सिर ८० मन लकडियों को लेकर बनाया जाता था । रावण और उसके परिवार की प्रतिमाएं बनवाई जाती थीं ।
अब कोटा के इस मेले का रूप आधुनिक हो गया है । आज भी यह मेला अपने आप में विशिष्ट है । यह मेला पूरे २० दिन तक चलता है ।
नगर निगम द्वारा कव्वाली ,अखिलभारतीय मुशायरा ,कवि सम्मलेन ,ग़ज़ल ,सिने रात्रि के आयोजन होते हैं । रावण का पुतला ७२ फुट का होता है । आतिशबाजी का कार्यक्रम भी होता है । कोटा दशहरे के मंच पर मुकेश पार्श्व गायक ,गीता दत्त ,मन्ना डे ,कुमार सानु ,हेमंत कुमार ,अलका याग्निक ,शब्बीर कुमार ,राजू श्रीवास्तव ,दलेर मेहंदी ,गुलाम अली ,अनूप जलोटा जैसे कलाकार पधार चुके हैं । मुमताज राशिद ,बशीर बद्र ,सागर अजमी ,बेकल उत्साही ,शीन काफ से उम्दा शायर ,नीरज ,सोम ठाकुर ,रमानाथ अवस्थी ,देवराज दिनेश ,काका हाथरसी ,वीरेंदर मिश्रा ,अशोक चक्रधर ,जैसे कविओं ने काव्य पाठ किया है । कोटा के मेले पर बीबीसी ,फ़िल्म डिविजन भी वृत्त चित्र बना चुका है । १०० वर्षों से भी पुराने कोटा दशहरे मेले की शान समय के साथ फीकी जरूर पडी है समाप्त नही हुई ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. आभार जानकारी के लिए.

    विजय दशमी पर्व की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  2. सुरूचिपूर्ण जानकारी के लिए आभार।

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  3. इस जानकारी के लिए आभार,
    विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनांयें ।

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