बुधवार, 18 मार्च 2009

व्यंग्यकार को संवेदनशील होना होगा -विष्णु नागर(व्यंग्य शिविर का पहला दिन )

व्यंग्य शिविर के पहले दिन प्रख्यात कवि और व्यंग्यकार विष्णु नागर ने कहा कि जिस लेखक में व्यंग्य का पुट नही है वो लेखक ही नही कहा जा सकता है । सफल लेखक वह है जो सर्वाधिक पाठकों तक पहुँचता है । यदि छोटों के प्रति सहानभूति नही है ,दृष्टि व्यापक नही है तो कोई भी व्यंग्य लेखक नही हो सकता । लेखक को नाम ,पुरस्कार आदि की चिंता नही करनी चाहिए । कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि देवेन्द्र इन्द्रेश ने कहा कि राजस्थान के व्यंग्य लेखन का ढंग से मूल्यांकन नही हुआ है । आज कदम -कदम पर आक्रोश , बैचैनी ,विद्रूपता है इसलिए व्यंग्य लेखन आधिक हो रहा है । रात्रि में आयोजित कवि -सम्मलेन में महेंद्र नेह ,ब्रिजेन्द्र कौशिक ,अरविन्द सोरल ,शून्याकांशी ,शरद तैलंग ,मुकुट मणिराज, आरसी शर्मा ,हलीम आईना सहित कई कविओं ने काव्य पाठ किया । शेष रपट कल ......

7 टिप्‍पणियां:

  1. प्रतीक्षा रहेगी।
    घुघूती बासूती

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  2. प्रतीक्षा रहेगी।
    घुघूती बासूती

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  3. वैसे तो कल कभी आता नहीं है

    आता है तो आज हो जाता है

    पर यह शिविर हो कहां रहा है

    हमें तो अभी से शिवरिंग हो रही है

    शिव के मोबाइल की रिंग वाली नहीं

    पता नहीं कहां चल रहा है शिविर

    नहीं तो थोड़ा सा तो हम भी सीखते

    व्‍यंग्‍य की फुहारी में थोड़ा तो भीगते।

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  4. अभी एक टिप्‍पणी दी थी न जाने कहां खो गई

    दी थी टिप्‍पणी मेरे साथ ही वो व्‍यंग्‍य हो गई

    अब वही विचार कहां से लाऊं किसके चुराऊं

    शिव जी वाली मोबाइल की रिंग ही खो गई

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  5. यार भाई, विष्णु नागर बड़े कवि, आलोचक और व्यंग्यकार हैं। वे हर तरह की गैदरिंग में बेहद प्रभावी ढंग से अपनी बात रखने में भी सक्षम हैं। आपको उनके व्यक्तव्य को थोड़ा विस्तार से देना चाहिए था। निश्चय ही बेहद महत्वपूर्ण होता। फिरभी धन्यवाद।

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  6. बड़े आलसी हो यार! कुछ तफ़सील से बताते..!

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