शनिवार, 11 जुलाई 2009

मायावती का मूर्ती प्रेम बहुजन समाज का मखौल है

मायावती का मूर्ती प्रेम उनके सामंतवादी सोच का परिचायक है । कांशीराम जिंदगीभर जिन मूल्यों का विरोध करते रहे मायावती ने उनको ही प्रश्रय दिया है । यही कारण है की उत्तर पदेश में उनका ग्राफ ते़जी से नीचे जा रहा है । पूरे प्रदेश की जनता जहाँ बिजली की कमी से त्राही - त्राही कर रही है वंही सैकडों सोडियम लैंप फालतू आंबेडकर पार्क के रोड पर जल रहे हैं । जनता के पैसे के दुरूपयोग का यह अधिकार राजनेताओं को किसने दिया है । मायावती सत्ता के मद में अपने लक्ष्य से भटक गयीं हैं । तुलसी ने कहा है - ' प्रभुता पाय काहे मद नाही ।

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