रविवार, 26 जुलाई 2009

सच का फैसला झूठे लोग न करें

भारतीय समाज एक मर्यादाशील समाज है । विदेशों की नकल पर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर परोसे जाने वाली झूठन को जितनी जल्दी समेट लिया जाए उतना अच्छा है । सच का सामना कार्यक्रम विकृत मानसिकता का परिचायक है । एंकर का बयान खुद बताता है कि उसे सिर्फ कार्यक्रम बेचने से मतलब है । हम परिवार एवं संबंधों में विश्वास रखने वाले लोग हैं । पश्चिम की तरह भोग और स्व केंद्रित जीवन जीने वाले नहीं । हमारे सामाजिक ताने -बाने को छिन्न - भिन्न करने के किसी भी प्रयास पर तुरंत रोक लगानी चाहिए । आज आवश्यकता है कि मीडिया भी अपनी जिम्मेदारी समझे और केवल सनसनी न बेचे । उन लोगों को सच का फैसला करने की जरुरत नहीं है जिनके झूठ को पूरी दुनिया ने देखा है इराक में , ग्रेनेडा में । सच को यूं भी किसी बैसाखी की जरुरत नहीं होती ।

3 टिप्‍पणियां:

  1. umda baat
    sajag rah kar aise behooda program band karaane ki zaroorat hai......
    aapka abhinandan !

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  2. सच को यूं भी किसी बैसाखी की जरुरत नहीं होती ।
    =================
    बहुत बढ़िया लेख।
    दीपक भारतदीप

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  3. हमारे ही पैदा किये भस्मासुर है मित्र...
    ये अपने सिर पर खुद हाथ रखकर ही भस्म होंगे..

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