भारतीय समाज एक मर्यादाशील समाज है । विदेशों की नकल पर और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर परोसे जाने वाली झूठन को जितनी जल्दी समेट लिया जाए उतना अच्छा है । सच का सामना कार्यक्रम विकृत मानसिकता का परिचायक है । एंकर का बयान खुद बताता है कि उसे सिर्फ कार्यक्रम बेचने से मतलब है । हम परिवार एवं संबंधों में विश्वास रखने वाले लोग हैं । पश्चिम की तरह भोग और स्व केंद्रित जीवन जीने वाले नहीं । हमारे सामाजिक ताने -बाने को छिन्न - भिन्न करने के किसी भी प्रयास पर तुरंत रोक लगानी चाहिए । आज आवश्यकता है कि मीडिया भी अपनी जिम्मेदारी समझे और केवल सनसनी न बेचे । उन लोगों को सच का फैसला करने की जरुरत नहीं है जिनके झूठ को पूरी दुनिया ने देखा है इराक में , ग्रेनेडा में । सच को यूं भी किसी बैसाखी की जरुरत नहीं होती ।
umda baat
जवाब देंहटाएंsajag rah kar aise behooda program band karaane ki zaroorat hai......
aapka abhinandan !
सच को यूं भी किसी बैसाखी की जरुरत नहीं होती ।
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बहुत बढ़िया लेख।
दीपक भारतदीप
हमारे ही पैदा किये भस्मासुर है मित्र...
जवाब देंहटाएंये अपने सिर पर खुद हाथ रखकर ही भस्म होंगे..